नई शिक्षा नीति – नीशू सिंह (हिंदी शिक्षिका) सेंट फ्रांसिस स्कूल, इंद्ररापुरम, गाजियाबाद

नई शिक्षा नीति: आशा की किरण

—नीशू सिंह (हिंदी शिक्षिका) सेंट फ्रांसिस स्कूल, इंद्ररापुरम, गाजियाबाद

अगर यह कहा जाए कि भविष्य में वर्ष 2020 अनिश्चितताओं से भरे वर्ष के रूप में याद किया जाएगा तो गलत नहीं होगा। साथ ही हम इसे अभूतपूर्व उपलब्धियों से भरा साल कहें तो भी अतिशयोक्ति न होगी। आपदा, संघर्ष, आविष्कार और सफलताओं से भरे इस साल को नई शिक्षा नीति के क्रियान्वयन के लिए भी याद किया जाएगा। क्रियान्वित होते ही यह शिक्षा नीति बुद्धिजीवी वर्ग के लोगों के मध्य गंभीर चर्चा का मुद्दा बन गई।

किसी भी गंभीर विषय पर चर्चा के कई आयाम होते हैं। इस विषय के विभिन्न आयामों पर भी विस्तारपूर्वक चर्चा की गई है। अलग-अलग विचारधारा के लोग प्रत्येक आयाम को विभिन्न कसौटियों पर कसते हैं। कुछ को इसमें अपार संभावनाएँ दिखाई पड़ती हैं और कुछ अभी इसको लेकर सशंकित हैं।

देखा जाए तो नई शिक्षा नीति के अनगिनत सकारात्मक पहलू स्पष्ट नज़र आते हैं। इसमें विभिन्न कौशलों के विकास पर जोर दिया गया है। जीवन कौशल व्यक्ति के जीवन को जीने योग्य बनाते हैं। केवल किताबी ज्ञान छात्रों को जीवन के संघर्ष में उतरने के लिए पूर्ण रूप से तैयार नहीं करता लेकिन कौशलों का विकास उन्हें जीवन का सामना करने की योग्यता प्रदान करता है।

डॉ॰ सर्वपल्ली राधाकृष्णन ने अपने वक्तव्य में एक बार कहा भी था कि भूखे को खाने के लिए मछली देने से अच्छा है कि उसे मछली पकड़ने का कौशल सिखा दो फिर वह जीवन में कभी भूखा नहीं रहेगा। नई शिक्षा नीति भी इसी पर बल देती है। पिछले दशक में छात्रों पर बढ़ते मानसिक दबाव ने हमसे कई प्रतिभाशाली जीवन छीन लिए हैं। आश्चर्यचकित करने वाला तथ्य यह है कि 95% अंक प्राप्त करने वाला अपनी सफलता पर गर्वित नहीं होता बल्कि 5% अंक खो देने के दबाव को अपने व्यक्तित्व पर हावी होने देता है।

जीवन बहुमूल्य है और अपार संभावनाओं का सागर है। हमारे छात्र इस सागर में उतरें तो उनके हाथ बहुमूल्य मोती ही लगेंगे। हर बच्चे में कई योग्यताएँ छिपी होती हैं बस उसे अपनी योग्यता को गर्व के साथ विकसित होने देना चाहिए। जीवन के अनमोल उपहारों को हमारे बच्चे सहजता से स्वीकार करें। ज़मीन में रोपे गए बीज को जब उचित वातावरण मिलता है तो वह विकसित होकर दिन-प्रतिदिन पुष्ट होता जाता है। यही पोषण हमें अपने बच्चों के सुप्त कौशलों को देना चाहिए ताकि वे भी सहजता से विकसित होकर उनके जीवन में सफलता के द्वार खोल दें।

नई शिक्षा नीति भविष्य की सीमित संभावनाओं को असीमित रूप में परिणत करने वाली है। अब तक की शिक्षा प्रणाली छात्रों को भविष्य के एक सीमित परिदृश्य के सामने ले जाकर छोड़ देती थी। तेज़ दौड़ने वाले आगे बढ़कर अवसर पर अधिकार जमा लेते थे और पीछे रहने वाले धक्का-मुक्की करते परिस्थितियों को कोसते रह जाते थे। शीर्ष स्थान के बिना सफलता का कोई अर्थ ही नहीं रह जाता था। सभी को इंजीनियर या डॉक्टर ही बनना है, इसके अलावा सब बेकार। ऐसे अनगिनत उदाहरण मिल जाएँगे जब इंजीनियरिंग कॉलेज में चार वर्ष बिताने के दौरान छात्रों को समझ आता है कि उनकी क्षमता तो कुछ और है। वास्तव में उन्हें तो किसी और क्षेत्र में सफलता की आकांक्षा लालायित करती रही है। फिर वे अपनी योग्यतानुसार अपने सपनों के पीछे एक नए सफ़र पर चल पड़ते हैं।  

नीशू सिंह वर्तमान में नगर के प्रतिष्ठित विद्यालय सेंट फ्रांसिस स्कूल में हिंदी शिक्षिका के रूप में  कार्यरत हैं। अब तक दिल्ली एवं गाज़ियाबाद के कई विद्यालयों में अध्यापन कार्य करते हुए कुल 17 वर्षों का अनुभव अर्जित कर चुकी हैं। आपने कार्यस्थल पर अध्यापन के अतिरिक्त अन्य कर्तव्यों का भी सदैव सफलतापूर्वक निर्वहन करते हुए हमेशा नए कौशल सीखने को प्राथमिकता दी है। समय की माँग के अनुसार कंप्यूटर को हिंदी शिक्षण प्रणाली का अभिन्न अंग बना लिया है। आपको हिंदी के साथ अँग्रेजी एवं संस्कृत भाषाओं पर भी पूर्ण अधिकार है। हिंदी साहित्य पढ़ने में विशेष रुचि होने के साथ-साथ लिखने में भी महारतहासिल है। नई पीढ़ी को हिंदी के प्रति आकर्षित करने के उद्देश्य से एक ब्लॉग का आरंभ किया है। आपकी सीखने की ललक के कारण हर दिन कुछ नया सीखने व छात्रों को सिखाने का क्रम अनवरत जारी है। शिक्षण आपके लिए आनंद का स्रोत है।

नई शिक्षा नीति बचपन से ही छात्रों में यह क्षमता विकसित करेगी कि वह व्यवहारिक जीवन में उतरने से पहले अपनी योग्यताओं को परख सकेंगे। नई शिक्षा नीति का एक अति महत्वपूर्ण आयाम भाषाओं का सम्मान है। बालक को आरंभ से ही सहज वातावरण में शिक्षा प्राप्त करने का अवसर मिलेगा और वर्षों से हाशिए पर पहुँच चुकी हमारी क्षेत्रीय भाषाओं को भी सम्मान मिलेगा।

प्रथम दृष्टया नई शिक्षा नीति भविष्य का एक सफल प्रयोग प्रतीत होती है। अब हमारे सामने चुनौती है इसे भली-भाँति लागू करने की और अभिभावकों के मन से संशय दूर करने की। सच्चाई यह भी है कि एक परिपक्व और स्पष्ट कहें तो सालों से पुष्ट हो चुकी मानसिकता को रातों-रात बदलना असंभव है। अंकों की प्रधानता वाले समाज में जीवन कौशलों को मान्यता प्राप्त होने में समय तो लगेगा। शनै: शनै: ही सही लेकिन यह नई शिक्षा नीति सकारात्मक परिवर्तन लाकर ही रहेगी। हमें अपने भविष्यरूपी वृक्ष की जड़ को मजबूत करना है तो अपने कर्णधारों की क्षमताओं को फलने-फूलने का अवसर देना ही होगा।

आइए! खुले मन से स्वागत करते हैं नई शिक्षा नीति का।